आंतरिक होता है अधिगम अक्षमता : अवनीश बोले तंत्रिका तंत्र है इसका उदगम स्थल
कहा : उम्र के किसी पड़ाव पर यह हो सकता है परिलक्षित
उबाच : इसमें सुधार के लिए उचित चिकित्सा जरूरी
संवाददाता| चुन्ना कुमार दुबे|
जमुई| बिहार| जिला कलेक्टर अवनीश कुमार सिंह ने बुधवार को समाहरणालय के संवाद कक्ष में शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित विशिष्ट अधिगम अक्षमता संवेदनशीलता कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए कहा कि आज शिक्षा के सार्वभौमिककरण के प्रयास के तहत विशिष्ट शिक्षा के संप्रत्यय को बल मिला है लेकिन लोगों में अभी भी जागरूकता का अभाव है विशिष्ट बालक कौन है और विशिष्टता के कितने प्रकार हैं इस संदर्भ में या तो लोगों को जानकारी ही नहीं है या फिर अपुर्ण जानकारी है विशिष्ट बालक के मुख्य प्रकार जैसे अस्थि विकलांगता श्रवण विकलांगता दृष्टि विकलांगता आदि में तो लोग अंतर कर लेते हैं लेकिन मानसिक मंदता अधिगम अक्षमता पागलपन आदि की जानकारी उन्हें नहीं है भ्रमवश वे इन सबको एक ही अर्थ में समझते हैं तथा एक ही अर्थ में प्रयोग करते हैं। यह बहुत गंभीर समस्या अधिगम अक्षमता के कारण ही प्रायः ऐसा होता है श्री सिंह ने कहा आगे कहा कि अधिगम अक्षमता दो अलग अलग पदों के मिलने से बना है अधिगम शब्द का आशय सीखने से है तथा अक्षमता का तात्पर्य क्षमता का अभाव या क्षमता की अनुपस्थिति से है अर्थात सामान्य भाषा में अधिगम अक्षमता का तात्पर्य सीखने की क्षमता अथवा योग्यता में कमी या अनुपस्थिति से है अधिगम अक्षमता पद का सर्वप्रथम प्रयोग 1963 में सैमुअल किर्क द्वारा किया गया था वर्ष 1994 में अमेरिका की अधिगम अक्षमता की राष्ट्रीय संयुक्त समिति ने अधिगम अक्षमता को परिभाषित करते हुए कहा कि अधिगम अक्षमता एक सामान्य पद है जो मानव में अनुमानत: केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के सुचारू रूप से नहीं कार्य करने के कारण उत्पन्न आन्तरिक विकृतियों के विषम समूह जिसमें की बोलने सुनने पढ़ने लिखने तर्क करने या गणितीय क्षमता के प्रयोग में कठिनाई शामिल होते हैं को दर्शाता है। जीवन के किसी भी पड़ाव पर यह उत्पन्न हो सकता है हालाँकि अधिकतम अक्षमता अन्य प्रकार की अक्षमताओं या संस्कृतिक भिन्नता अनुपयुक्तता या अपर्याप्त अनुदेशन के प्रभाव के कारण होता है लेकिन यह अधिगम अक्षमता को प्रत्यक्षत: प्रभावित नहीं करती है उपर्युक्त परिभाषाओं की समीक्षा के आधार पर यह कहा जा सकता है कि अधिगम अक्षमता एक व्यापक संप्रत्यय है जिसके अंर्तगत वाक् भाषा , पठन लेखन एवं अंकगणितीय प्रक्रियाओं में से एक या अधिक के प्रयोग में शामिल एक या अधिक मूल मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया में विकृति को शामिल किया जाता है जो अनुमानत: केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के सुचारू रूप से नहीं कार्य करने के कारण उत्पन्न होता है यह स्वभाव से आंतरिक होता है डीएम ने बताया कि अधिगम अक्षमता की विभिन्न मान्यताओं पर दृष्टिपात करने पर यह स्पष्ट होता है कि यह आंतरिक होती है इसका स्थायी स्वरुप का होता है अर्थात यह व्यक्ति विशेष में आजीवन विद्यमान रहता है यह कोई एक विकृति नहीं बल्कि विकृतियों का एक विषम समूह है इस समस्या से ग्रसित व्यक्तियों में कई प्रकार की व्यवहार और विशेषताएँ पाई जाती है चूंकि यह समस्या केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र की कार्यविरूपता से संबंधित है अत: यह एक जैविक समस्या है
यह अन्य प्रकार की विकृतियों के साथ हो सकता है इसे एक मनोवैज्ञानिक समस्या भी माना जा सकता है बिना सोचे विचारे कार्य करना उपयुक्त आचरण नहीं करना निर्णयात्मक क्षमता का अभाव स्वयं के प्रति लापरवाही लक्ष्य से आसानी से विचलित होना सामान्य ध्वनियों एवं दृश्यों के प्रति आकर्षण ध्यान कम केन्द्रित करना या ध्यान का भटकाव भावात्मक अस्थिरता एक ही स्थिति में शांत एवं स्थिर रहने की असमर्थता स्वप्रगति के प्रति लापरवाही बरतना सामान्य से ज्यादा सक्रियता गामक क्रियाओं में बाधा कार्य करने की मंद गति सामान्य कार्य को संपादित करने के लिए एक से अधिक बार प्रयास करना पाठ्य सहगामी क्रियाओं में शामिल नहीं होना क्षीण स्मरण शक्ति का होना बिना वाह्य हस्तक्षेप के अन्य गतिविधियों में भाग लेना में असमर्थ होना तथा प्रत्यक्षीकरण संबंधी दोष आदि भी अधिगम अक्षमता का द्योतक है उन्होंने अधिगम अक्षमता के वर्गीकरण की जानकारी देते हुए कहा कि डिस्लेक्सिया पढ़ने संबंधी विकार
डिस्ग्राफिया लेखन संबंधी विकार
डिस्कैलकूलिया गणितीय कौशल संबंधी विकार डिस्फैसिया वाक् क्षमता संबंधी विकार डिस्प्रैक्सिया लेखन एवं चित्रांकन संबंधी विकार डिसऑर्थोग्राफ़िय वर्तनी संबंधी विकार ऑडीटरी प्रोसेसिंग डिसआर्डर श्रवण संबंधी विकार विजुअल परसेप्शन डिसआर्डर दृश्य प्रत्यक्षण क्षमता संबंधी विकार सेंसरी इंटीग्रेशन ऑर प्रोसेसिंग डिसआर्डर इन्द्रिय समन्वयन क्षमता संबंधी विकार एवं ऑर्गेनाइजेशनल लर्निंग डिसआर्डर संगठनात्मक पठन संबंधी विकार के रूप में किया गया है उन्होंने अधिगम अक्षमता के निदान के लिए जन जागरूकता पर बल देते हुए कहा कि जानकारी और उचित चिकित्सा से ही इससे निजात पाया जा सकता है डीईओ कपिलदेव तिवारी डीपीओ पारस कुमार एसएलडी विशेषज्ञ रूही शर्मा अधिकांश विभागीय अधिकारी एवं पाठशालाओं के प्रधान ने कार्यशाला में हिस्सा लिया और इस मामले में अपना क्षमतावर्धन किया