गेहूं और मक्के की खेती में होने लगा घाटा तो शिमला मिर्च की खेती करने लगे किसान

भागलपूर / संवाददाता / श्यामनन्द सिंह / नवगछिया का इलाका ना सिर्फ पूरे प्रदेश में बल्कि संपूर्ण देश में केलांचल के नाम से जाना जाता है। यह इलाका गेहूं और मक्के की खेती के लिए भी प्रसिद्ध है और बड़े पैमाने पर यहाँ गेहूँ और मक्के की भी होती है। किन्तु, अब यहाँ के किसान अपनी मेहनत के बूते अपने इलाके को नई पहचान दिलाने में भी अग्रसर दिख रहे हैं। गोपालपुर प्रखंड के अंतर्गत लतरा गांव एक उदाहरण है। बल्कि, इस अनुमंडल के कई किसान पहले भी पूरे प्रदेश में अपने मेहनत को लोहा मनवा चुके हैं। लतरा निवासी शिक्षक सह किसान रंजीत यादव ने एक अनोखी खेती की है, जो एक चुनौतीपूर्ण भी है। रंजीत यादव ने लगभग 50 डिसमिल खेत में शिमला मिर्च की खेती शुरू की है। शिक्षक रंजीत यादव ने बताया कि पिछले साल ही शिमला मिर्च की खेती शुरू की थी। किन्तु, तब इस खेती के तरीके की जानकारी बहुत कम थी। लिहाजा, बहुत कम दायरे में खेती शुरू की थी, पर कम मेहनत और लागत में ही अधिक मुनाफा हुआ था। जिसके कारण इसबार 50 डिसमिल जमीन पर खेती शुरू किया हूँ। रंजीत, बिल्कुल वैज्ञानिक तरीके से खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि खेती करने में बिहार सरकार से अनुदान मिला है। जिसके लिए हमने जिला उद्यान विभाग में अप्लाई किए थे। जिसके तहत वहां के कर्मी आकर पूरा प्लांटेशन का कार्य किया। उसके बाद इस बार लेट होने के कारण दिसंबर माह में फसल लगाए जो लगभग फरवरी में फल देना शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि स्कूल के पढ़ाने के समय के बाद जो समय बचता है उसे हम खेती में लगा दिए हैं। सुबह शाम समय-समय पर उसकी देखभाल करने खुद जाते हैं और उन्होंने बताया कि शिमला मिर्च शिमला जैसा ठंडा माहौल जिसके लिए पॉलीबैग में ऊपर में सभी जगह झरना लगाया गया है। जिसके चालू करने के बाद माहौल बिल्कुल चील्ड हो जाता है ।उन्होंने बताया कि मेरे भाई से प्रेरणा मिला तरह का खेती किया जाए इसीलिए कर रहे हैं। अब हम लोग सेव की भी खेती करने के विचार कर रहे हैं। वहीं उन्होंने बताया कि मेरे पिताजी गेहूं और मकई की खेती करते आ रहे थे और हम हम भी यही खेती कर रहे थे। लेकिन इस परंपरागत खेती से हटकर शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं। इससे अच्छा कोई खेती ही नहीं है। और हम कई लोगों को शिमला मिर्च की खेती करने के लिए प्रेरित किए हैं। कुछ लोग तैयार भी हो गए हैं। उन्होंने बताया कि खेती में मेहनत है लेकिन किए बिना कुछ जय जयकार नहीं होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

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