प्रदेश में छात्रवृत्ति घोटाला पर कार्रवाई की जगह पर्दादारी
झारखंड सरकार का कल्याण विभाग बना भ्रष्टाचार का केन्द्र
रांची – देवेंन्द्र शर्मा
रांची : झारखंड सरकार का आदिवासी कल्याण विभाग वर्तमान समय में अनियमितता,भ्रष्टाचार और लुट खसोट का केन्द्र बन गया है ।सरकार के स्पष्ट आदेश के बाद भी विभाग अधिकारी विभाग में मनमर्जी कार्य कर रहे है ।विभाग के इस रवैये से राज्य के सम्बन्धित छात्र-छात्राओं को परेशानी उठानी पड़ रही है।विभाग के द्वारा छात्रवृत्ति घोटाला की खबरें समय समय पर सुर्खिया बनती रही है।दुमका,धनबाद, कोडरमा और गिरीडीह में छात्रवृति घोटाला पर जिस प्रकार विभाग ने कार्रवाई के विपरीत पर्दादारी की है उससे सरकार की छवि पर विपरित असर पड़ा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व पुर्व मुख्य मंत्री बाबूलाल मंराडी ने कहा है कि मामला गंभीर है।कल्याण विभाग के अनियमितता भ्रष्टाचार की जांच ईडी से करायी जानी चाहिए।
विभाग के खास सूत्र का कहना है कि प्रदेश में पिछले कुछ साल की यदि निष्पक्ष रुप से जांच करायी जाय त मामला चौंकाने वाला सामने आयेगा।जिला के विभिन्न विधालय से लेकर जिला कल्याण पदाधिकारी से लेकर कल्याण विभाग तक इनकी डोर एक साथ जुड़ी बताई जा रही है।पिछले पांच साल में ही करोड़ो की राशि को लुट कर मामले को दबा दिया गया ।इस मामले पर सरकार के आदेश के बाद प्राथमिकी दर्ज करायी गई। जांच का जिम्मा ए सी बी को सौंपा गया कुछ लोगो की गिरफ्तारी भी हुई परन्तु प्रमुख घोटाले बाज को एक षडयंत्र के तहत बचा लिया गया ।कोडरमा,गिरीडीह और धनबाद के जिला कल्याण पदाधिकारी की अब गिरफ्तारी तक नही हुई।कुछ लोगो की गिरफ्तारी के बाद उन्हे जमानत मिल चुकी है और उनका गोरख धंधा पुन चालु है।धनबाद में लगभग 1200 छात्र के नाम पर डेढ़ करोड़ की राशि ,कोडरमा में फर्जी तौर पर दस विधालय के 1400 छात्र को और गिरीडीह में लगभग एक हजार छात्र के नाम पर छात्र वृति का भुगतान कर सरकार के खजाने से राशि कि लुट की गई। यहां यह बात गौरतलब है कि सरकार जिन लोगो के लिए यह राशि प्रदान करती है वह वास्तविक रुप से उन्हे प्राप्त होता है या नही इस बात की आज तक जांच भी नही करायी जाती ।छात्र वृति की राशि छात्र के खाते में जा रही है या नही इसकी भी खोज खबर नही ली जाती ।विधालय से लेकर विभाग मुख्यालय तक योजनाबद्ध रुप से घोटाला चल रहा है।शहरी क्षेत्र में जब यह आलम है त ग्रामीण और दूर-दराज के जिले में क्या काले कारनामे हो रहे है यह कहना कठिन है।
धनबाद में बर्ष 2022 में डेढ करोड़ की राशि जो छात्र वृति की थी उसे गायब कर दिया गया ,हंगामा मचने के बाद जांच का जिम्मा ए सी बी को दिया गया।ए सी बी ने जांच के दायरे में चिन्हित विधालय पर कार्रवाई शुरु की परन्तु कुछ अदृश्य शक्ति के दबाब में मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।इसी प्रकार कोडरमा में डेढ़ करोड़ की राशि पर भी मामला को दबाने का काम शुरु है।
आदिवासी कल्याण विभाग के दायरे में प्रदेश के आदिवासी हरिजन विधालय और छात्रावास को भी रखा गया है।लगभग सभी विधालय और छात्रावास का जिम्मा विभाग पर है ।आवासीय विद्यालय और छात्रावास की स्थिति बदतर है ।वहां छात्र नारकीय जीवन जीने को मजबूर है।अभी कुछ समय पहले ही मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन ने विधालय और छात्रावास का औचक निरीक्षण भी किया था ।उन्होने निरीक्षण के दौरान नाराजगी जतायी थी ।इसका भी असर विभाग पर नही पड़ा। सूत्र का कहना है कि कल्याण विभाग की संचिका में प्रदेश के सभी विधालय और छात्रावास की स्थिति पुरी तरह फाईव स्टार की सुविधापूर्ण दर्शाया गया है परन्तु वास्तविकता ठीक विपरीत है।कल्याण विभाग में सभी सामानों की आपूर्ति कर्ता में भी जमकर अनियमितता की जाती है।विभाग में अधिकांश कर्मचारी एक ही स्थान पर सालो साल से जमे हुए है।हाल ही में विभाग के सचिव का जिम्मा एक चर्चित अधिकारी को दिया गया है जिन भ्रष्टाचार के आरोप की जांच ईडी कर रही है ।पुर्व के सचिव पर भी कई गंभीर आरोप थे ,उनके समय भी छात्र वृति घोटाला से लेकर नियम के विरुद्ध अधिकारी की और मनचाहा वेतन भुगतान की जांच चल रही थी।यहा यह सवाल उठ रहा है कि कर्मचारी से लेकर अधिकारियों की लुट खसोट पर कार्रवाई के स्थान पर स्थानांतरण ही क्यु किया जाता है सख्त दंड क्यु नही दी जाती ।आदिवासी कल्याण विभाग में प्रशाखा पदाधिकारी से लेकर लिपिक तक सालो साल से एक ही कुर्सी पर विराजमान है ।उनका विभागीय संचिका उनके झोले में ही चलता है।